shiv chalisa lyricsl for Dummies
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जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
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भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥
कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये ।
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर more info में पावे॥
माता-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥ पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥